*••═༻Quran Ka Tarjuma༺═••*
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*✽••Post No➛ 39••✽*
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*❀ Para No-30 ❀*
*❨AT-TARIQ❩*
*✦⇝ IS SURAH ME 17 AYAT HAI, AUR YE SURAH MAKKA ME NAZIL HUI HAI.*
*※⇝11 SE 17 AYAT IS POST ME HAIN.*
*★⇝❥BismiLLahirrahmaanirraheem.,*
❶❶➻Qasam Hai Aasmaan Ki Jisse Barish Hoti Hai,
❶❷➻Aur Zameen Ki Jo 「Beech Nikalte Waqt」 Fatt Jati Hai,
❶❸➻「Aage Qasam Ka Jawab Hai」 Ki Ye Quran 「Haq Wa Batil Me」 Ek Faisla Kar Dene Wala Kalaam Hai,
❶❹➻Koi Bekar Cheez Nahi Hai,
❶❺➻「Un Logo Ka Ye Haal Hai Ki」 Ye Log 「Haq Ke Inkaar Ke Liye」 Tarah-Tarah Ki Tadbeere Kar Rahe Hai,
❶❻➻Aur Mein Bhi 「Unki Nakaami Aur Saza Ke Liye」 Tarah-Tarah Ki Tadbeere Kar Raha Hun,
❶❼➻To Aap Un Kafiro「Ki Mukhalafat」 Ko Yun Hee Rahne Dijiye 「Aur Jyadah Din Nahi Balki」Unko Thode Hee Dino Rehne Dijiye,
*🗂 Tafseer Ibne Kaseer Jild 6,{sirf Tarjuma Likha Jaa Raha}*
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*••═༻क़ुरआन का तर्जुमा༺═••*
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*✽••पोस्ट नम्बर -३९••✽*
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*❀ पारा नम्बर-३० ❀*
*❨अत-तारिक़ ❩*
*✦⇝इस सूरह में १७ आयत हैं, और ये सूरह मक्का में नाज़िल हुई हैं!.*
*※⇝११ से १७ आयत इस पोस्ट में हैं!.*
*★⇝❥बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम.,*
११➻कसम है आसमान की जिससे बारिश होती है,
१२➻और ज़मीन की जो 「बीज निकलते वक़्त」 फट जाती है,
१३➻「आगे क़सम का जवाब है」कि यह क़ुरआन 「हक़ व बातिल में」एक फ़ैसला कर देने वाला कलाम है,
१४➻कोई बेकार चीज़ नहीं है,
१५➻「उन लोगों का यह हाल है कि」 ये लोग 「हक़ के इनकार」 के लिए तरह –तरह की तदबीरें कर रहे हैं,
१६➻और मैं भी 「उनकी नाकामी और सज़ा के लिए」 तरह-तरह की तदबीरें कर रहा हूँ,
१७➻तो आप उन काफ़िरों 「की मुख़ालफ़त」 को यूँ ही रहने दीजिए 「और ज़्यादा दिन नहीं बल्कि」 उनको थोड़े ही दिनों रहने दीजिए,
*🗂तफ़सीर इब्न ए कसीर जिल्द ६.{सिर्फ तर्जुमा लिखा जा रहा }*
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