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Friday, June 7, 2019

GUSAL FARZ ME TAKHEER KI HAD

Image result for gusul ke farz
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Aurton Par Azaab Aur
Huzoor ﷺ Ka Rona
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🌴Roman English🌴

GUSAL FARZ  ME TAKHEER KI HAD

GusaL ka  masLa ye  hai  ke jab  mard or Aurat  par  gusaL farz ho jay to afzaL ye hai ke  usi  waqt  gusaL karLe or  agar  is  waqt  gusaL  na kare  kam az kam istanja kar ke wazu  karLe or  phir so jay or  agar  ye  bhi  na  kar  sake  kam az kam istanja  karLe or  kuL'Li  karle or hath  dho  kar  so  jay

 Or  agar  itna  bhi  na  kar  sake  to phir aakhri darja  ye  hai  ke subha sadiq hone par jama'at se itni der pehLe gusaL  karle ke agar mard  hai to uski namaz  bajama'at Ada ho jay

Agar aurat  hai to gusaL se Faraghat ke baad tuLu Aaftaab se pehLe namaz  fajar Ada karle ye Aakhri darja hai is  waqt  se zada takheer karne ki gunzaish  nahi  hai

 Lihaza  agar  koi  shakhs  janabat  ki haLat  me  so  gaya or  phir  sooraj nikaLne ke baad  Utha to uske  liy ye Azaab  o wabaaL hai kiyu ke gusaL  karne me itni takheer  karna jis ki wajah  se namaz   ka waqt jata  rahe ya namaz  qaza ho jay najaaiz  or haraam hai

Ab  mera  un  musalman bhaiyon or behno  se  sawaL  hai jo  kehte hain jab unko namaz  ke  liy  kaha jay ki  kapde napaak hain Upar  kya  Likha  hai dhiyaan se padhLe Allah ta'ala  ham sab ko sahi  samjh  ata  farmaye  tamam bataon par  amaL  karne  ki tofeeq  ata farmaye Aameen ya Rab

🌴Hindi (हिंदी)🌴

## ग़ुस्ल फ़र्ज़ में ताख़ीर की हद ##
    ग़ुस्ल का मसला ये है कि जब मर्द और औरत पर ग़ुस्ल फर्ज हो जाये तो अफ़ज़ल ये है कि उसी वक़्त ग़ुस्ल कर ले अगर इस वक़्त ने करे तो कम से कम इस्तीनजा कर के वुजू कर ले और फिर सो जाएं और अगर ये भी न हो सके तो कम अज़ कम इस्तीनजा कर ले और कुल्ली कर ले और हाथ धो कर सो जाएं,और अगर इतना भी न कर सके तो फिर आखरी दर्जा ये है कि सुबह सादिक़ होने पर जमात से इतनी देर पहले ग़ुस्ल कर ले कि अगर मर्द है तो उसकी नमाज़ बाज़मात अदा हो जाये ।
    अगर औरत है तो ग़ुस्ल से फ़रागत के बाद तुलु आफ़ताब से पहले नमाज़ फ़ज़र अदा कर ले ये आखरी दर्जा है इस वक़्त से ज्यादा ताख़ीर करने की गुंजाइश नहीं है।
    लिहाज़ा अगर कोई शख़्स ज़नाबत की हालत में सो गया और फिर सूरज निकलने के बाद उठा तो उसके लिए ये अज़ाब ओ वबाल है क्योंकि ग़ुस्ल करने में इतनी ताख़ीर करना जिसकी वजह से नमाज़ का वक़्त जाता रहा है या नमाज़ कज़ा हो जाये नाज़ायज़ और हराम है ।
अब मेरा उन मुसलमान भाइयों और बहनों से सवाल है कि जो कहते है कि जब उनको नमाज़ के लिए कहा जाए कि कपड़े नापाक है,ऊपर क्या लिखा है ध्यान से पढ़ ले । अल्लाह तआला हम सबको सही समझ अता फरमाए ,तमाम बातों पर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाये.....
आमीन या रब.

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