TARAWEEH KE MASAIL
AAJ KA SAWAL NO.1359
🔵JAWAB🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
Taraweeh ke aham masai hasabe zail hai.
♻(1) MAS'ALA:-
TARAWEEH KI NAMAZ SUNNATE MUEQQIDA HE, BINA UZR OR MAJBURI KE CHHODNE WALA SAKHT TAREEN GUNEHGAR HOGA.
📚(FATAWA DARUL ULOOM4/281)
♻(2) MAS'ALA:-
TARAWEEH KI NIYYAT
1. HAR DO RAKAT KI ALAG ALAG KARE, JAISE ME DO RAKAT NAMAZE TARAWEEH, SUNNATE MUAQQIDA PADTA HUN, IS IMAAM KE PICHE, ALLAH KE WASTE, MERA MUH QIBLE KI TARAF,
2. BIS RAKAT KI NIYYAT EK SAATH JAISE ME BIS(20) RAKAT TARAWEEH KI SUNNATE MU'QQADA PADHTA HUN, DAS (10) SALAMO KE SATH, MERE IMAAM K PICHHE, ALLAH K WASTE, MERA MUH QIBLE KI TARAF.
📚(FATAWA RAHIMIYA6/238)
♻(3) MAS'ALA:-
AGAR KISI SHAKHS KI TARAWEEH KI KUCH RAKAT CHHUT GAYI HO, TO AGAR DARMIYAN ME MOKA MILE TO PADH LE, WARNA IMAM KE SATH SHARIK HO JAYE, OR WITR BHI IMAM KE SATH PADH LE, PHIR CHHUTI HUWI RAKATO KO PURA KARE.
📚(FATAWA DAARUL ULOOM4/260)
و اللہ اعلم
तरावीह की निय्यत और हुक्म
⭕आज का सवाल नंबर.१३५९⭕
अ.
तरावीह का क्या हुक्म है? पढ़ना ज़रूरी है ?
मर्द औरत दोनों के लिए एक ही हुक्म है ?
ब.
तरावीह की निय्यत क्या करे?
क.
२० रकात की निय्यत साथ में कर सकते है?
🔵जवाब🔵
अ.
तरावीह मर्दों और औरतों सब के लिए पूरा महीना सुन्नते मुअक्कदह है.मगर औरतों के लिए जमात सुन्नते मुअक्कदह नहीं है.
📘किफ़ायतुल मुफ़्ती ३/३६१
सुन्नते मुअक्कदह को बिला उज़्र छोड़ना मना है और छोड़ने की आदत बनाने वाला फ़ासिक़ और गुनेहगार है.
ब.
तरावीह की निय्यत का वही तरीका है जो दूसरी नमाज़ों का है. उस की निय्यत इस तरीका से है के, दो रकत सुन्नत तरावीह की निय्यत करता हूँ, दिल में सोचकर या कहकर, अल्लाहु अकबर कहकर नमाज़ बांध ले.
📘मज़ाहिरे हक़ जदीद १४
क.
तरावीह के शुरू में २० रकात की निय्यत काफी है हर दो रकात पर निय्यत शर्त नहीं.
📘फतावा रहीमिययह १/३५४
📘मसाइले तरावीह रफत ७०,७१
واللہ اعلم
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन हनफ़ी गुफिर लहू
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा सूरत गुजरात इंडिया
📱💻
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