*Bismillahirrahmanirrahim*
*✦ Naya kapda pahanne ki dua*
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✦ Abu Said Khudri Radi Allahu Anhu se rivayat hai ki Rasool-Allah Sal-Allahu Alaihi wasallam ne farmaya
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✦ Abu Said Khudri Radi Allahu Anhu se rivayat hai ki Rasool-Allah Sal-Allahu Alaihi wasallam ne farmaya
Jab kabhi Rasool-Allah Sal-Allahu Alaihi wasallam naya kapda pahanate to to ye dua farmate
*اللَّهُمَّ لَكَ الْحَمْدُ أَنْتَ كَسَوْتَنِيهِ أَسْأَلُكَ مِنْ خَيْرِهِ وَخَيْرِ مَا صُنِعَ لَهُ وَأَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّهِ وَشَرِّ مَا صُنِعَ لَهُ*
Allahumma lakal-hamdu Anta kasawtaneeh, asaluka min khayrihi wa khayri maa suneeaa lahu, wa awuzubika min sharrihi wa sharri ma suneea lahu.
Eh Allah tamama tarif tere liye hai tune hi mujhe ye kapda pahnaya aur tujh se hi main iski khair ka talabgar hu aur jis maqsad ke liye ye kapda banaya gaya hai uski bhi khair ka talabgar hu aur iske shar (burayee) se aur jis shark e liye ye banaya gaya hai us shar se teri panah maangta hu.
Sunan Abu Dawud, Jild 3, 620-Sahih
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✦ अबू सईद खुदरी रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया
Sunan Abu Dawud, Jild 3, 620-Sahih
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✦ अबू सईद खुदरी रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया
जब कभी रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम नया कपड़ा पहनते तो ये दुआ फरमाते
*اللَّهُمَّ لَكَ الْحَمْدُ أَنْتَ كَسَوْتَنِيهِ أَسْأَلُكَ مِنْ خَيْرِهِ وَخَيْرِ مَا صُنِعَ لَهُ وَأَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّهِ وَشَرِّ مَا صُنِعَ لَهُ*
अल्लाहुम्मा लकल-हम्दु अन्ता कसवतनी, असअलूका मीन खयरिही वा खयरी मा सुनीआ लहू,
वा आवूज़ुबिका मीन शर्रीहि वा शर्री मा सुनीआ लहू,
एह अल्लाह तमाम तारीफ तेरे लिए है तूने ही मुझे ये कपड़ा पहनाया और तुझ से ही मैं इसकी खैर का तलबगार हू और जिस मक़सद के लिए ये कपड़ा बनाया गया है उसकी भी खैर का तलबगार हूँ और इसके शर (बुराई) से और जिस शर के लिए ये बनाया गया है उसके शर से तेरी पनाह माँगता हूँ
सुनन अबू दाऊद, जिल्द 3, 620-सही
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✦ Narrated AbuSa'id al-Khudri Radi allahu anhu When the Messenger of Allah (ﷺ) put on a new garment he would say:
*اللَّهُمَّ لَكَ الْحَمْدُ أَنْتَ كَسَوْتَنِيهِ أَسْأَلُكَ مِنْ خَيْرِهِ وَخَيْرِ مَا صُنِعَ لَهُ وَأَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّهِ وَشَرِّ مَا صُنِعَ لَهُ*
O Allah, praise be to you ! as you hast clothed me with it, I ask you for its good and the good of that for which it was made, and I seek refuge in you from its evil and the evil of that for which it was made.
Sunan Abu dawud , Book 33, 4009-Sahih
वा आवूज़ुबिका मीन शर्रीहि वा शर्री मा सुनीआ लहू,
एह अल्लाह तमाम तारीफ तेरे लिए है तूने ही मुझे ये कपड़ा पहनाया और तुझ से ही मैं इसकी खैर का तलबगार हू और जिस मक़सद के लिए ये कपड़ा बनाया गया है उसकी भी खैर का तलबगार हूँ और इसके शर (बुराई) से और जिस शर के लिए ये बनाया गया है उसके शर से तेरी पनाह माँगता हूँ
सुनन अबू दाऊद, जिल्द 3, 620-सही
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✦ Narrated AbuSa'id al-Khudri Radi allahu anhu When the Messenger of Allah (ﷺ) put on a new garment he would say:
*اللَّهُمَّ لَكَ الْحَمْدُ أَنْتَ كَسَوْتَنِيهِ أَسْأَلُكَ مِنْ خَيْرِهِ وَخَيْرِ مَا صُنِعَ لَهُ وَأَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّهِ وَشَرِّ مَا صُنِعَ لَهُ*
Sunan Abu dawud , Book 33, 4009-Sahih
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