*••═༻Quran Ka Tarjuma༺═••*
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*✽••Post No➛ 62••✽*
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*❀ Para No-30 ❀*
*❨Surah Shams❩*
*✦⇝ IS SURAH ME 15 AYAT HAI, AUR YE SURAH MAKKA ME NAZIL HUI HAI.*
*※⇝14 AUR 15 AYAT IS POST ME HAIN.*
*★⇝❥BismiLLahirrahmaanirraheem.,*
❶❹➻So Unhone Paigambar Ko Jhootlaya, Fir Us Untni Ko Maar Dala, To Unke Parwardigar Ne Unke Gunahon Ke Sabab Un Par Halakat Nazil Farmai, Fir Us (Halakat) Ko Tamam Qaum Ke Liye Aam Farmaya,
❶❺➻Aur Allah Taala Ko Us Halakat Ke Akhir Me Kisi Kharabi (Ke Nikalne) Ka (Kisi Se) Andesha Nahi Hua,
*{Is Ayat Ka Matlb Ye Hai Ke Khuda Kisi Ko Saza Kare To Use Ye Khauf Nahi Hota Ki Iska Anjaam Kya Hoga.?}*
*➻Alhumdulillah Ye Surah Bhi Muqammal Hui.*
*🗂 Tafseer Ibne Kaseer Jild 6,{sirf Tarjuma Likha Jaa Raha}*
*••═༻क़ुरआन का तर्जुमा༺═••*
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*✽••पोस्ट नम्बर -६२••✽*
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*❀ पारा नम्बर-३० ❀*
*❨सूर:शम्स❩*
*✦⇝इस सूरह में १५ आयत हैं, और ये सूरह मक्का में नाज़िल हुई हैं!.*
*※⇝१४ और १५ आयत इस पोस्ट में हैं!.*
*★⇝❥बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम.,*
१४➻सो उन्होंने पैग़म्बर को झूठलाया,फिर उस ऊंटनी को मार डाला,तो उनके परवरदिगार ने उनके गुनाहों के सबब उन पर हलाकत नाजिल फरमाई,फिर उस (हलाकत) को तमाम कौम के लिए आम फरमाया,
१५➻और अल्लाह ताला को उस हलाकत के आखिर में किसी खराबी (के निकलने) का (किसी से) अंदेशा नहीं हुआ,
*{इस आयत का मतलब ये है के खुदा किसी को सजा करे तो उसे ये खौफ नहीं होता कि इसका अंजाम क्या होगा.?}*
*➻अलहम्दुलिल्लाह ये सूर: भी मुकम्मल हुई,*
*🗂तफ़सीर इब्न ए कसीर जिल्द ६.{सिर्फ तर्जुमा लिखा जा रहा }*
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