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*✽••Post No➛ 49••✽*
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*❀ Para No-30 ❀*
*❨Surah Fajr❩*
*✦⇝ IS SURAH ME 20 AYAT HAI, AUR YE SURAH MAKKA ME NAZIL HUI HAI.*
*※⇝1 SE 6 AYAT IS POST ME HAIN.*
*★⇝❥BismiLLahirrahmaanirraheem.,*
❶➻ Qasam Hai (Fajr Ke Waqt Ki),
❷➻ Aur (Zil Hijja) Ke Dass Raato Ki,
❸➻Aur Zuft Aur Taak (Yaani Jod Aur Be-Jod) Ki,
❹➻ Aur (Qasam Hai) Raat Ki Jab Wo Chalne Lage (Yaani Guzarne Lage),
❺➻ Kyun Is (Zikr Ki Hui Qasam) Me Aqalmand Ke Waaste Kaafi Qasam Bhi Hai,
❻➻ Kya Aapko Maloom Nahi Ki Aapke Parwardigaar Ne Qaume Aad Yaani Qaume Iram Ke Sath Kya Mamla Kiya,
*🗂 Tafseer Ibne Kaseer Jild 6,{sirf Tarjuma Likha Jaa Raha}*
*••═༻Hindi Translation༺═••*
*••═༻क़ुरआन का तर्जुमा༺═••*
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*✽••पोस्ट नम्बर -४९••✽*
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*❀ पारा नम्बर-३० ❀*
*❨सूर: फज्र❩*
*✦⇝इस सूरह में २० आयत हैं, और ये सूरह मक्का में नाज़िल हुई हैं!.*
*※⇝१ से ६ आयत इस पोस्ट में हैं!.*
*★⇝❥बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम.,*
१➻ कसम है (फज्र के वक़्त की),
२➻ और (जिल हिज्जा) के दस रातों की,
३➻ और जुफ्त और ताक (यानी जोड़ और बेजोड़) की,
४➻ और (कसम है) रात की जब वो चलने लगे (यानी गुजरने लगे),
५➻ क्यों इस (ज़िक्र की हुई कसम) में अक्लमंद के वास्ते काफी कसम भी है,
६➻ क्या आपको मालूम नहीं की आपके परवरदिगार ने कौमे आद यानी कौमे इरम के साथ क्या मामला किया,
*🗂तफ़सीर इब्न ए कसीर जिल्द ६.{सिर्फ तर्जुमा लिखा जा रहा }*
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